क्या आप लोग शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग या डे ट्रेडिंग करते हैं अगर हां तो आपको मार्केट में इंडिकेटर के बारे में पता होना बहुत जरूरी है जो आपको आपके ट्रेडिंग में मदद करेगा आज हम ऐसे ही एक इंडिकेटर के बारे में जाने जा रहे हैं जिसका नाम Bollinger Bands है। Bollinger Bands एक ट्रेडिंग इंडिकेटर है जिसका उपयोग टेक्निकल analysis में किया जाता है। यह इंडीकेटर आपको मार्केट में चल रही Volatility और प्राइस मूवमेंट को समझने में आपकी मदद करता है। इस ब्लॉग "Bollinger Band Indicator in Hindi" मे हम जानेंगे की बोलिंगर बैंड क्या है और कैसे काम करता है और आप अपने स्ट्रेटजी में इसका इस्तेमाल कैसे कर सकते हो तो इसे पूरा पढें।
जानिए स्टॉक मार्केट कैसे सीखें
Bollinger Bands Indicator क्या है और आप बोलिंगर बैंड इंडिकेटर कैसे पढ़ते हैं?
बोलिंजर बैंड्स एक टेक्निकल इंडीकेटर हैं जो स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करने वालों को मार्केट की volatility और प्राइस मूवमेंट के बारे में सूचित करने के लिए उपयोग होता है। यह टूल तीन प्रमुख हिस्सों से मिलकर बना होता है:
- मध्य बैंड (Middle Band): बोलिंगर बैंड के बीच मे जो रेखा होती है उसे मिडिल बैंड कहा जाता है। यह रेखा SMA(Simple Moving Average) लाइन होती है, जो सामान्यतः 20SMA पर होती है। अगर आप चाहें तो इसे बदल भी सकते हैं, लेकिन ज्यादातर यह 20 SMA ही इस्तमाल होता है।
- ऊपरी बैंड (Upper Band): यह मिडिल बैंड का उपर वाला बैंड होता है। ये मार्केट की volatility को दर्शाता है अगर मार्केट में volatility बढ़ती है तो ऊपरी बैंड और निचले बैंड के बीच की दूरी बढ़ जाती है।
- निचली बैंड (Lower Band): Lower Band मध्य बैंड से नीचे वाली बैंड होती है अगर मार्केट में volatility बढ़ती है तो ऊपरी बैंड और निचले बैंड के बीच की दूरी बढ़ जाती है।
बोलिंजर बैंड्स को पढ़ने का तरीका बहुत ही सरल है:
- जब मूल्य ऊपरी बैंड के पास होता है, तो यह सुझाव देता है कि मार्केट में लोग उस स्टॉक या इंडेक्स को ज्यादा खरीद रहे हैं।
- दूसरी तरफ जब मूल्य निचली बैंड के पास होता है, तो यह सुझाव देता है कि मार्केट में लोग उस स्टॉक या इंडेक्स को ज्यादा बेच रहे हैं।
- और जब ऊपरी बैंड और निचली बैंड के बीच की दूरी ज्यादा हो तो यह दर्शाता है की मार्केट में volatility बढ़ रही है।
Chart by Tradingview |
बोलिंजर बैंड्स इंडिकेटर ट्रेडर्स को मार्केट की स्थिति का सही अंदाजा लगाने में मदद कर सकता है अगर आप इसे समझ कर इसका सही से इस्तमाल करें तो।
Bollinger Bands indicator कैसे काम करता है?
जैसा कि हमने जाना की बोलिंगर बैंड मे 3 बैंड्स होती है, Upper band, Middle band aur Lower band मिडिल बैंड प्राइस के पिछले कुछ दिनों का SMA होता है और upper band और lower band SMA का Standard deviation होता है।
जब स्टॉक या इंडेक्स में volatility बढ़ जाती है तो बोलिंगर बैंड के Upper band और Lower band के बीच दूरी बढ़ जाती है।
Chart by - Tradingview |
दूसरी तरफ जब स्टॉक या इंडेक्स में volatility कम हो जाती है तो बोलिंगर बैंड के Upper band और Lower band के बीच दूरी घट जाती है।
Chart by - Tradingview |
और अगर स्टॉक इंडेक्स में volatility सामान्य(Normal) रहती है तो बोलिंगर बैंड के Upper band और Lower band के बीच दूरी भी सामान्य(Normal) हो जाती है।
Chart by - Tradingview |
Bollinger Bands Formula in Hindi
Bollinger bands का गणितीय फॉर्मूला काफी पेचीदा है और आपको इसे याद रखने की भी जरूरत नही है मैं आपको कुछ आसान शब्दों के समझाने की कोशिश करूंगा की bollinger बैंड को कैसे इस्तमाल करें।
BOLU=MA(TP,n)+m∗σ[TP,n]
BOLD=MA(TP,n)−m∗σ[TP,n]
BOLU = Upper Bollinger Band
BOLD = Lower Bollinger Band
MA = Moving average
TP (typical price)=(High+Low+Close)÷3
n = Number of days in smoothing period (typically 20)
m = Number of standard deviations (typically 2)
σ[TP,n] = Standard Deviation over last n periods of TP
Formula source: Investopedia
इस गणितीय फॉर्मूला को देखकर डरे नही क्योंकि मार्केट मे ट्रेड करने के लिए आपको इस फॉर्मूले को याद रखने की बिल्कुल भी जरूरत नही है इसके लिए बस आपको अपने ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर मे "Bollinger band" search करना है और अपने चार्ट पर उसे अप्लाई करना है।
जानिए स्कैल्प ट्रेडिंग स्ट्रेटजी के बारे में
Bollinger Bands Indicator Trading Strategy in Hindi
Bollinger bands स्ट्रेटजी सीखने से पहले आपको बोलिंगर बैंड्स को समझना होगा।
- सबसे पहले आपको अपने चार्ट मे बोलिंगर बैंड्स को लगा देना देना है।
- फिर आप जिस टाइम फ्रेम का इस्तमाल करते है उसे सेट करे। intraday के लिए 5min या उससे कम समय सीमा(Time frame) सही होता है।
- फिर प्राइस पर ध्यान दे जब प्राइस Upper बैंड के उपर निकल जाए तो इसका मतलब है की स्टॉक या इंडेक्स Overbought है यानी ज्यादा खरीदा जा चुका है।
- दूसरी तरफ अगर प्राइस Lower बैंड के नीचे निकल जाए तो इसका मतलब है की स्टॉक या इंडेक्स Oversold है यानी ज्यादा बेचा जा चुका है।
बोलिंगर बैंड्स में आपको कब खरीदना और बेचना चाहिए?
खरीदना:
- जब प्राइस Upper बैंड के उपर निकल जाए तो आपको Red कैंडल बनने का इंतजार करना है।
- जब Upper बैंड के बाहर Red कैंडल बन जाए तब आपको उस Red कैंडल के Low के नीचे प्राइस के जाने का इंतजार करना है।
- जैसे ही प्राइस Red कैंडल के नीचे निकले आपको उस स्टॉक या इंडेक्स को sell करके बेयरिश एंट्री ले लेनी है।
Nifty 5min Chart by - Tradingview |
बेचना:
- ठीक दूसरी तरफ जब प्राइस Lower बैंड के निचे निकल जाए तो आपको Green कैंडल बनने का इंतजार करना है।
- जब Lower बैंड के बाहर Green कैंडल बन जाए तब आपको उस Green कैंडल के High के उपर प्राइस के जाने का इंतजार करना है।
- जैसे ही प्राइस Green कैंडल के ऊपर निकले आपको उस स्टॉक या इंडेक्स को खरीद करके बुलिश एंट्री ले लेनी है।
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Target & Stop-Loss:
निष्कर्ष(Conclusion):
इस ब्लॉग "Bollinger Band Indicator in Hindi" के मध्यम से हमने जाना की बोलिंगर बैंड्स क्या है, ये कैसे काम करता है, इसे कैसे पढ़ते हैं और Bollinger Bands Intraday Strategy के बारे में। आशा करता हुं आपको ये ब्लॉग पसंद आया होगा अगर कोई सवाल है तो आप नीचे कॉमेंट कर सकते हैं। अगर आप बोलिंगर बैंड्स का इस्तमाल अन्य इंडिकेटर्स जैसे की - Supertrend या RSI के साथ करते हैं तो आपको अच्छी accuracy मिल सकता है। आखिर में थी कहना चाहूंगा की स्टॉपलॉस का इस्तमाल हमेसा करें और अपने rules को हमेसा फॉलो करें।
FAQ's[Bollinger Band Indicator in Hindi]
बैंड का आविष्कार किसने और कब किया था?
Bollinger bands का आविष्कार John Bollinger द्वारा 1980 मे किया गया था।
बोलिंगर बैंड चौड़ी होने पर इसका क्या मतलब है?
इसका मतलब है की मार्केट मे Volatility बढ़ गई है।
बोलिंगर बैंड्स में आपको कब खरीदना और बेचना चाहिए?
जब प्राइस Uppper बैंड के बाहर निकलकर red कैंडल बनाए और उस red कैंडल का low break हो जाए तब आपको बेचना चाहिए, और जब प्राइस Lower बैंड के नीचे निकाले green कैंडल बनाए और प्राइस green कैंडल के उपर निकले तब आपको खरीदना चाहिए।
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